कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र
निम्नलिखित पंक्तियों में कार्ल माक्र्स और फ्रेडरिक एंगेल्स यह समझाते हैं कि सरमायदारी समाज के विकास के साथ साथ उसका क्या हश्ऱ होता है और इसमें सर्वहारा की क्या भूमिका होती है।
”अब तक, हर प्रकार का समाज अत्याचारी और पीड़ित वर्गों के बीच अन्तर्विरोध पर आधारित रहा है। लेकिन किसी भी वर्ग पर अत्याचार करने के लिये यह जरूरी है कि उसके कुछ ऐसे हालात सुनिश्चित करवाये जायें, जिसके जरिये वह अपनी गुलामी की जिन्दगी को चला सकें। कृषिदासता के युग में कृषिदास ने अपने आप को कम्यून का सदस्य बनाया था जैसे कि सामंतवादी निंरकुशता के हालातों में निम्न सरमायदार विकसित होकर सरमायदार बन गया था। परन्तु वर्तमान मजदूर, उद्योग की प्रगति के साथ साथ खुद प्रगति करने के बजाय, नीचे ही नीचे गिरता जाता है, अपने वर्ग ही मौजूदगी की हालातों से भी नीचे। वह कंगाल हो जाता है और उसकी कंगाली आबादी और धन से अधिक तेज़ी से बढ़ती है। और यहां यह स्पष्ट हो जाता है कि सरमायदार समाज में शासक वर्ग होने और अपनी मौजूदगी हालतों को एक कानून के रूप में पूरे समाज पर थोपने के अब काबिल नहीं रह गया हैं की वह शासन करने के काबिल नहीं है क्योंकि वह अपने गुलाम को गुलामी की जिंदगी भी सुनिश्चित नहीं करवा सकता हैं, क्योंकि वह अपने गुलाम को ऐसी हालत में गिरने से नहीं रोक सकता है, जहां गुलाम उसे खिलाने के बजाय, उसे अपने गुलाम को खिलाना पड़ता है। समाज अब इस सरमायदार की हुकूमत में नहीं रह सकता हैं, इसका जीना अब समाज के अनुकूल नहीं है।
”सरमायदार वर्ग की मौजूदगी और हुकूमत के लिये जरूरी शर्त है पंूजी पैदा और इकट्ठा करना। पूंजी के लिये शर्त है श्रम मजदूरी। श्रम मजदूरी मजदूरों के बीच स्पर्धा पर ही आधारित है। उद्योग का विकास, जिसे सरमायदार न चाहते हुये भी बढ़ावा देता है, स्पर्धा की वजह से मजदूरों के अलगावपन को उनके संयोजन से पैदा होने वाले इंकलाबी संगठन में बदल देता है। आधुनिक उद्योग का विकास अपने पांव तले से उसी नींव को नष्ट कर देता है, जिस नींव पर सरमायदार उत्पादन और विनियोजन करता है। इस प्रकार, सरमायदार सबसे पहले, अपनी ही क़ब्र खोदने वालों को पैदा करता है। सरमायदारों का पतन उतना ही अनिवार्य है जितना सर्वहारा की विजय।“
बिजली बोर्ड 19 से हड़ताल पर
उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड के अभियंता के कर्मचारी 19 जुलाई की रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। हड़ताल का आह्वान उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने वेतन पुनर्निरीक्षण में हो रहे अत्यधिक विलंब तथा अभियंताओं को जबरन सेवा निवृत्त किये जाने के विरोध में किया है।
अभियंता संघ के अध्यक्ष ने बताया कि वेतन पुनर्निरीक्षण में विलंब तथा जबरन सेवानिवृत्त करने के विरोध में प्रदेश में समस्त अभियंता पूर्व निश्चित 12 जुलाई की दस बजे रात से नियमानुसार कार्य आंदोलन करेंगे। 18 जुलाई को समस्त क्षेत्रीय मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जायेगा। इसके बावजूद यदि हुक्मरानों की नींद नहीं खुली तो 19 जुलाई की दस बजे रात से सहायक अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक सभी बेमियादी हड़ताल पर चले जायेंगे।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन जानबूझकर अभियंताओं का वेतनमान कम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि विद्युत परिषद के मुख्यअभियंता को 1 जनवरी 86 को 8689 रुपये वेतन मिलता था, जबकि मुख्य सचिव को आठ हजार रुपये मिलते थे। जनवरी 96 को मुख्य अभियंता को महंगाई भत्ता जोड़कर 16987 रुपया वेतन था, जबकि मुख्य सचिव का वेतन 15680 ही था। अब 1 जनवरी 96 से मुख्य सचिव को 26 हजार वेतन देने का निर्णय लिया गया है और मुख्य अभियंता को उनसे कम वेतन देने की वकालत की जा रही है। अभियंता इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। इस भेदभाव को मिटाने के लिए अभियंता जब वेतन पुनर्निरीक्षण की मांग करते हैं तो सरकार जबरन सेवानिवृत करने पर उतर जाती है।
कर्मचारियों की मुख्य मांग अप्रैल 89 तथा अप्रैल 94 से पांच-पांच वेतन वृद्धि देने की है, किन्तु विद्युत परिषद एवं सरकार इसे मानने को तैयार नहीं है। 18 मई एवं 6 जून को विशेष ऊर्जा सचिव से इस संबंध में जो वार्ता हुई, उसमें एक-एक वेतनवृद्धि देने तथा जनवरी 96 से वेतन पुनर्निरीक्षण करने का एकतरफा प्रस्ताव दिया गया। अभियंता इसे हरगिज़ स्वीकार नहीं करेंगे। मजबूर होकर अभियंताआंें ने बेमियादी हड़ताल करने का फैसला किया है।
रिक्शा चालकों का प्रदर्शन
गाजियाबाद के रिक्शा चालकों ने नगर निगम द्वारा रिक्शा लाइसेंस के लिए फीस वृद्धि के विरोध में 5 जुलाई को नगर निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। बाद में मुख्य नगर अधिकारी ने आश्वासन दिया कि बोर्ड की बैठक में अंतिम निर्णय होने तक लाइसेंस के लिए पुरानी फीस ही वसूली जायेगी।
विगत 27 जून को नगर निगम कार्यकारिणी ने रिक्शा लाइसेंस का वार्षिक शुल्क 50 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये निर्धारित करने का प्रस्ताव पारित किया था। रिक्शा चालकों का उनका कहना है कि नगर निगम उन्हें जब कोई भी सुविधा प्रदान नहीं कर रहा तो लाइसेंस शुल्क बढ़ाना गैर वाजिब है।
लाइसेंस शुल्क वृद्धि को अनुचित बताते हुए इसे वापस लेने की मांग को लेकर सैकड़ों रिक्शा चालकों ने नगर निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए रिक्शा चालक नेताओं ने सरकार को गरीब मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि यह गरीब रिक्शा चालाकांे पर सीधा प्रहार है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि निगम जब कर वसूलता है तो उसे सुविधाएं भी देनी चाहिए। चालकों ने कहा कि बढ़ी हुई फीस नहीं देंगे अंजाम चाहे जो भी हो। कई मजदूर नेताओं व रिक्शा यूनियनों से जुड़े पदाधिकारियों ने निगम की निन्दा की।
मुख्य नगर अधिकारी और प्रतिनिधि मंडल की वार्ता मंे तय हुआ कि जब तक बोर्ड बैठक में अंतिम रूप से फीस निर्धारित न हो पाये तब तक पचास रुपये ही वसूलें जायें। बदले में निगम रसीद देगा किन्तु लाइसेंस फीस निर्धारण के बाद देना होगा। रिक्शा चालाकों ने अपनी सुविधा के लिए मुख्य स्थानों पर शेड लगाने व हैंडपम्प लगाने की मांग की जिस पर एम.एम.ए. ने कार्रवाई का आश्वासन दिया।